हिंदू धर्म में बुधवार का दिन श्रीकृष्ण को समर्पित होता है। भगवान श्रीकृष्ण जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतार माने जाते हैं। माना जाता है कि जिन लोगों पर भगवान कृष्ण की कृपा होती है, वह लोग सुख-शांति के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। वहीं मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
बुधवार के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और पूजा के दौरान श्रीकृष्ण की आरती करना चाहिए। आरती करने से भगवान श्रीकृष्ण को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भगवान श्रीकृष्ण की आरती के बारे में बताने जा रहे हैं।
श्री कृष्ण आरती
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं
गगन सों सुमन रासि बरसै
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की …
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की …
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की …
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की …