नीति आयोग ने कहा है कि सरकार 2070 तक शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय हरित वित्तपोषण संस्थान स्थापित करने की दिशा में काम कर रही है। इसका कारण जलवायु पहल के लिए वित्त का मौजूदा प्रवाह जरूरी स्तर से काफी कम होना है। आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 में कहा, ‘‘इस अंतर को पाटने के लिए अलग से राष्ट्रीय हरित वित्तपोषण संस्थान की परिकल्पना की जा सकती है।’’
इसमें कहा गया है कि संस्थान का प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न स्रोतों से हरित पूंजी एकत्र करना और पूंजी की लागत को कम करना है। नीति आयोग ने कहा कि वह संभावित राष्ट्रीय हरित वित्तपोषण संस्थान की संचालन व्यवस्था के लिए विभिन्न उपायों पर गौर कर रहा है। इसमें नैबफिड (राष्ट्रीय अवसंरचना वित्तपोषण विकास बैंक)/नाबार्ड पर आधारित एक बैंक, इरेडा जैसे मौजूदा संस्थानों का उपयोग, हरित इनविट (बुनियादा ढांचा निवेश ट्रस्ट) (गैर-विस्तृत) आदि शामिल हैं।
इसके अलावा दुनियाभर के हरित बैंकों की सर्वोत्तम गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जा रहा है। भारत ने 2022 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन(यूएनएफसीसीसी) को सौंपी गई अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं या राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत 2005 के स्तर की तुलना में 2030 तक अपनी जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है। इसका लक्ष्य 2030 तक अपनी स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत हरित ऊर्जा स्रोतों से हासिल करना है।