महाराष्ट्र का राजनीति लगातार सुर्खियों में है। वहां, किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर दरार की खबरें आई हैं। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा की जाने वाली बैठकों से बचते रहे हैं और इसी तरह की बैठकें आयोजित करने की एक समानांतर प्रक्रिया चला रहे हैं। हालांकि, शिवसेना दावा कर रही है कि गठबंधन के भीतर सबकुछ ठीक है। बावजूद इसके उनकी नाराजगी की खबरें आ ही जा रही है।
पिछले नवंबर में नतीजों के बाद भाजपा ने फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया था, जिसके बाद शिवसेना प्रमुख शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा था। शिंदे के समर्थकों का मानना है कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनके ढाई साल के कार्यकाल (जून 2022 से नवंबर 2024) के दौरान लिए गए फैसलों, विकास और कल्याणकारी योजनाओं के कारण ही भाजपा, शिवसेना और राकांपा के गठबंधन को विधानसभा चुनाव में जीत मिली। शिवसेना नेताओं के अनुसार शिंदे उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने के इच्छुक नहीं थे, लेकिन उनकी पार्टी के सहयोगियों और भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उन्हें फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा बनने के लिए मना लिया था। रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षक मंत्रियों को लेकर फैसले से दरार बढ़ती देखी।
उद्धव कर रहे तारीफ
विपक्षी शिवसेना (उबाठा) ने कुछ मंत्रियों द्वारा सुझाए गए निजी सहायकों के नामों को खारिज करने के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हालिया फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा है कि वह भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधा। शिंदे प्रतिद्वंद्वी शिवसेना के प्रमुख हैं और उनके फडणवीस के साथ संबंध ‘‘तनावपूर्ण’’ बताए जा रहे हैं। जनवरी की शुरुआत में, सामना ने अप्रत्याशित रूप से फडणवीस की प्रशंसा की थी जब उन्होंने नक्सल प्रभावित गडचिरौली जिले का दौरा किया था और घोषणा की थी कि वहां इस्पात उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा। ‘सामना’ के बुधवार के अंक में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है, ‘‘देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के शासन में अनुशासन को लेकर कड़े कदम उठाए हैं और उन्होंने (भ्रष्टाचार के) ‘नालों की सफाई’ शुरू कर दी है।’’ हाल के हफ्तों में यह दूसरी बार है जब शिवसेना (उबाठा) ने फडणवीस की प्रशंसा की है।अजित पवार पूरे मामले को लेकर खामोश हैं। हालांकि, वह अपना तालमेल भाजपा से पूरी तरह मिलाकर चल रहे हैं। शिंदे की “हल्की” टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, डिप्टी सीएम अजीत पवार ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि टिप्पणी किसको लक्षित थी। जैसे-जैसे शिंदे बनाम फडणवीस की कहानी सामने आ रही है, अजित पवार अपना काम करने में व्यस्त हो गए हैं और घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। अब तक, पवार ऐसा कोई भी बयान या इशारा करने से बचते रहे हैं जिससे स्थिति बिगड़ सकती हो।