सामाजिक समरसता और एकता का महासूत्रप्रयागराज का महाकुंभ

एवीके न्यूज सर्विस के पुरी टीम किया ने सपरिवार किया कुंभ स्नान

नई दिल्लीः विभिन्न धर्मों और संप्रदायों में विश्वास करने वाला हमारा यह देश है। यहां अनेक पर्व, उत्सव और मेले आयोजित होते हैं, इसलिए यह कहावत है त वार और नौ त्यौहार ! धार्मिक पर्वो और उत्सवों से त्याग, तप, साधना, परोपकार, धार्मिक जागृति और आध्यात्मिक चेतना के दर्शन होते हैं। ऐसे ही सनातनधर्मियों का, हिन्दुओं का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है कुंभ, या कह सकते हैं महाकुम्भ, जो विश्व का सबसे बड़ा मेला कहा जा सकता है। प्रयागराज का अमृत महाकुंभ, जो विश्व का सबसे बड़ा मेला पुनीत पावनक गंगा जमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम पर उभरता एक लघु भारत। प्रयाग की धरती से एक बार फिर गूंज रहा है म एक हैं का अमृत घोष। अजस्र वाहिनी गंगा जमुना.सरस्वती का संगम.स्थल। यद्यपि इनकी भाषा, वेशभूषा, रंगढंग सभी एक दूसरे से भिन्न होते हैं, परंतु इनका लक्ष्य एक होता है, मंजिल एक होती है सभी में एक ही भावना और समरसता के दर्शन किये जा सकते हैं और यह हैं अनेकता में एकता का संगम। आज का मनुष्य क्या स्त्री, पुरुष, बाल-अबाल, साधू महात्मा, धन्वान-गरीब, गृहस्थ, संन्यासी, साक्षर असाक्षर हर तरह के लोग और समुदाय, कष्टों समस्याओं की चिंता नहीं करते हुये भी अमृत कुंभ के अमृतपान के लिये सहज एवं प्रसन्नता के साथ प्रत्येक स्थिति में भी उद्यत रहते हैं, यही तो है इस महापर्व का महात्म्य।  दिव्य भव्य और वृहद महाकुंभ समागम के अवसर पर एवीके न्यूज सर्विस के पुरी टीम ने सपरिवार प्रयागराज पहुँचकर त्रिवेणी संगम में महाकुम्भ काल के पवित्र स्नान ध्यान करने का सौभाग्य प्राप्त किया। एवी के न्यूज सर्विस के संपादक उमेश कुमार सिंह और प्रबंधक कृष्ण प्रताप सिंह, कार्यकारी संपादक विनिता झा, मध्य प्रदेश के ब्यूरो चीफ सूर्य प्रताप सिंह, उत्तर प्रदेश के प्रबंधक राधवेन्द्र सिंह और छत्तीसगढ़ ब्यूरो चीफ सुरेश सिंह बैस और पुरी टीम ने सभी परिवरीजन के साथ प्रयागराज में कुंभ स्नान का सौभाग्य प्राप्त किया।

 

सुरेश सिंह बैस ने सर्वप्रथम इस अवसर पर गृह नगर से सड़क मार्ग से प्रयागराज के लिए सभी परिवरीजन रवाना हुए। फिर शहडोल, रींवा होते हुए प्रयागराज पहुंचकर प्रातः त्रिवेणी संगम स्थल के अरेल घाट में सभी लोगों द्वारा कुंभ स्नान का सौभाग्य प्राप्त किया। इस अवसर पर मां गंगा मां सरस्वती मां जमुना की सभी पारिवारी जनों ने पूजा आरती संपन्न की व ‘सर्वजन हिताय’ की भावना के साथ त्रिवेणी माताओं से सभी जनों के कल्याण की याचना की गई! त्रिवेणी स्नान में पत्नी श्रीमती सुनीता सिंह व पुत्र अद्वित सिंह सम्मिलित थे। इस पावन मौके पर सुरेश सिंह बैस ने सभी सनातन भाइयों से निवेदन करते हुए कहा कि जो भी सनातनी भाई बहन कुंभस्नान हेतु प्रयागराज आये थे या आ रहे हैं, उन्हें जो भी घाट मिले उसी में स्नान ध्यान करें। पुण्य फल सभी में प्राप्त होता हैं, संगम की ओर जाने भीड़ में फंसने से बचे। उन्होंने बताया कि महाकुंभ के दौरान यह अनुभव हुआ की प्रायः सबकी चिंता रही हैं कि, हम संगम घाट की तरफ जाएं और सीधे संगम में स्नान करें। जहां तीनों नदियां मिलती हैं। पुराणों में भी उद्घघृत है कि, जहां पर पवित्र नदियां मिलती हैं वहाँ विशेष दिन में स्नान ध्यान करने से पुण्य मिलता हैं, किंतु ये भी एक बात समझने वाली हैं कि यदि एक सेंटीमीटर या फुट की सीमा में अमृत की बूंदे गिरी होंगी तो क्या उसी दायरे में ही स्नान ध्यान करना आवश्यक हैं ?…

 

उमेश कुमार सिंह का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री जी का प्रयागराज में या कहें तो पुरे उत्तर प्रदेश में व्यवस्था बहुत अच्छा है। सभी लोग कुंभ स्नान करके और काशी और अयोध्या धाम के दर्शन भी कर रहे है।

 

हमारे ऋषि मुनि भी पुरातन वैज्ञानिक ही थे। और उनके दृष्टिकोण से जब सूर्य, चंद्र, और ग्रहों के समूह अपने एक स्थान विशेष में एकत्रित होते है और उसकी किरणें पवित्र नदियों पर पड़ती है, उससे उस जल में एक दिव्य एनर्जी उत्पन्न होती है और उस एनर्जिक जल के गुणों को स्नान के माध्यम से हमारा शरीर ग्रहण करता हैं, इसके साथ ही हम ब्रह्मांड (ईश्वर) से अलौकिक रूप से संबंध बना लेते हैं, उस क्षण जो भी सच्चे मन से ब्रह्मांड (ईश्वर) से जो कुछ मांगते है वह इच्छा शीघ्र पूरी होती हैं.. ये एस्ट्रोमीटर एलायमेंट हैं, जिसके कारण ही महाकुंभ लगता हैं। एस्ट्रोमीटर एलायमेंट के कारण ही जो एनर्जी फील्ड बनता हैं वो किसी एक सेंटीमीटर या एक फुट की जगह पर ही सीमित नहीं होता हैं, उस ऊर्जा के उत्पन्न होने के समय पे अगर, आप प्रयागराज के किसी भी घाटों में स्नान कर ईश्वर ध्यान कर रहे हो ,उसके पुण्य प्रताप की प्राप्ति निश्चित ही मिलेगी। इसलिए ज्यादा चिंतित होने की आवश्यकता नहीं हैं। जहां पर पहले घाट मिले और जहां स्नानध्यान करने पर आसानी हो। उस स्थान पर श्रद्धापूर्वक पवित्र स्नान ध्यान कीजिए वहां भी मन की इच्छा पूर्ण होगी, पुण्य प्राप्त होगा।

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