सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”
सर सीवी रमन सहित अन्य वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का सम्मान करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन किया जाता है। वैज्ञानिक क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए अनुमोदन मिलने पर, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पूरे भारत में स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में विज्ञान दिवस मनाया जाता है। सबसे पहले 28 फरवरी 1987 को पहले राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बाद, राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान लोकप्रियकरण पुरस्कारों की घोषणा की गई, जिसने व्यक्तियों को विज्ञान और संचार के क्षेत्र उनके योगदान के लिए मान्यता दी।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को विज्ञान के महत्व के बारे में संदेश फैलाने और यह आम लोगों के दैनिक जीवन को कैसे बेहतर बनाता है, इस उद्देश्य से मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे मनाने के निम्नलिखित उद्देश्य भी ध्यान में रखे गए हैं। 1. विज्ञान के क्षेत्र में सभी गतिविधियों, प्रयासों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करें 2. विज्ञान में रुचि रखने वाले भारत के नागरिकों के लिए अवसर प्रदान करना 3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में रुचि को बढ़ावा देना और प्रोत्साहित करना।
सरल रूप में देखा जाए तो विज्ञान ब्रह्मांड में जीवन, निर्माण और विनाश की प्रक्रिया को समझने के लिए कुछ सैद्धांतिक या प्रेक्टिकल प्रणालियों का उपयोग कर हमारी दुनिया का अध्ययन है। जहां तक देखा जाए तो विज्ञान के क्षेत्र में भारत का एक समृद्ध इतिहास रहा है।जहां कई दिग्गजों ने देश को गौरवान्वित किया है। वही सीवी रमन विज्ञान के क्षेत्र के ऐसे ही एक दिग्गज हैं। इन्ही वैज्ञानिक के संस्मरण में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भारत में 28 फरवरी को मनाया जाता है। यही वह दिन है जब देश के महान वैज्ञानिक सीवी रमन ने ‘रमन प्रभाव’ का आविष्कार किया था।
वैज्ञानिक सीवी रमन ने 28 फरवरी 1928 को ‘रमन इफेक्ट’ की खोज की थी। उन्होंने साबित किया था कि अगर कोई प्रकाश किसी पारदर्शी वस्तु के बीच से गुजरता है, तो प्रकाश का कुछ हिस्सा विक्षेपित होता है। जिसकी वेव लेंथ में बदलाव होता है। इस खोज को रमन इफेक्ट नाम दिया गया।सीवी रमन को उनके अविष्कार ‘रमन इफेक्ट’ के लिए साल 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सीवी रमन नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई नागरिक थे। सीवी रमन को साल 1954 में “भारत रत्न” से भी नवाजा गया था।
लोगों में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने और समाज में विज्ञान के प्रति जागरुकता लाने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए ही हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। यह मानव जाति की प्रगति के लिए वैज्ञानिक विश्लेषण और खोज के महत्व पर प्रकाश डालता है। यह भारतीय नागरिकों को भौतिक दुनिया को प्रभावित करने वाली घटनाओं का अध्ययन करने और समझने के लिए प्रोत्साहित करता है। भारतीय गणितज्ञ जैसे- आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त (चक्रीय चतुर्भुज के क्षेत्र सूत्र प्रदान करते हैं) और रामानुजन ने इस क्षेत्र में अग्रणी योगदान दिया है।
खगोल विज्ञानः प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट्ट ने खगोल विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसमें पृथ्वी की खोज और सौर मंडल के सूर्य उपग्रह मॉडल का विकास शामिल है। ज्योतिष वेदांग: खगोलीय डेटा का उल्लेख करने वाला पहला वैदिक पाठ, 4000 ईसा पूर्व का है। चिकित्साः आयुर्वेद भारत में चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली, विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति से एक है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन भारतीय ग्रंथ विभिन्न चिकित्सा एवं उनके उपचारों का विस्तृत विवरण प्रदान करते हैं। प्रौद्योगिकी: भारत में तकनीकी नवाचार का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसमें धातु विज्ञान, जहाज निर्माण और कपड़ा उत्पादन का विकास शामिल है। सिंधु घाटी सभ्यता: का एक प्राचीन शहर मोहनजोदडो जो 4,500 साल पहले अस्तित्व में था, एक परिष्कृत सीवेज़ और जल विक्रेताओं णकी व्यवस्था थी। अंतरिक्ष रॉकेट भारत ने हाल के वर्षों में अंतरिक्ष रॉकेट में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिसमें वर्ष 2014 में मार्स ऑर्बिटर मिशन का सफल प्रक्षेपण और चंद्रयान 3 का चंद्रमा में दक्षिणी ध्रुव पर सबसे प्रथम बार सफल प्रक्षेपण एवं दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले सबसे पहले देश के रूप में भारत सामने आया। भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान कार्यक्रम पूर्व निर्धारित है जो लॉन्च होने वाला है।
सर चंद्रशेखर वेंकट रमन उन भारतीयों में से एक हैं जिन पर देश को गर्व है। इस भारतीय भौतिक विज्ञानी ने 1930 में अपनी असाधारण खोज के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार जीता था जिसे उनके नाम पर ‘द रमन इफेक्ट’ रखा गया था।जब भारत के बुद्धिमानों को याद करने की बात आती है, तो सीवी रमन एक ऐसा नाम है जो कभी नहीं छूटता। भारत के मद्रास प्रांत में जन्मे, भौतिक विज्ञानी नोबेल पुरस्कार विजेता के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। ‘रमन प्रभाव’ का गौरव भारत की युवा पीढ़ी को विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान देने के लिए एक मजबूत प्रेरक शक्ति है। इसका असर वैश्विक स्तर पर भारत की महत्वपूर्ण वृद्धि के साथ देखा जा सकता है।
– सुरेश सिंह बैस शाश्वत