होली का पर्व आने वाला है। त्योहार को आने में अब ज्यादा दिन नहीं बचें। हिंदू धर्म में होलाष्टक की अवधि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना जाती है। ज्योतिष के अनुसार, होलाष्टक की शुरुआत हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होती है और इसका समापन पूर्णिमा तिथि को होता है। पंचांग के अनुसार, होलाष्टक 07 मार्च 2025 से शुरु हो रहे हैं। इस दौरान इसके अशुभ प्रभाव से बचना चाहते हैं, तो इन नियमों का पालन करें।
कब से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलाष्ट की शुरुआत 07 मार्च से हो रही है और इसका समापन होलिका दहन वाले दिन होगा यानी के 13 मार्च 2025 को होगा। पूरे भारत में 14 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाएगा।
जानें होलाष्टक के नियम
– होलाष्टक की अवधि के दौरान बाल और नाखून काटने से बचें।
– इस अवधि के समय विवाह, मुंडन संस्कार, नामकरण, गृह प्रवेश आदि जैसे शुभ काम करने से बचना चाहिए।
– होलाष्टक के दौरान लोग ब्रह्मचर्य बनाए रखना जरुरी होता है।
– होलाष्टक के समय आध्यात्मिक और धार्मिक कामों से जुड़ना जरुरी होता है।
– इस दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए।
– इस अवधि में भगवत गीता का पाठ जरुर करें।
– होलाष्टक के समय हवन करना शुभ होता है।
– इस समय लोग पुराने कपड़े और चप्पलें जरुरतमंदों को दान करते हैं।
– होलाष्टक के समय में तामसिक भोजन जैसे – लहसुन, प्याज, अंडा और मांस आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।
– इस समय घर और मंदिर की सफाई करें।
– होलाष्टक के समय किसी से विवाद न करें।